क्या आपकी कमर में दर्द बना रहता है? चलते समय पैरों में सुन्नपन आता है? या खड़े-खड़े पैर भारी हो जाते हैं? अगर हाँ, तो हो सकता है कि आपको स्पाइनल स्टेनोसिस हो।
लेकिन घबराइए मत। सही एक्सरसाइज से आप आराम पा सकते हैं। पर ध्यान दीजिए, हर एक्सरसाइज फायदेमंद नहीं होती। गलत स्पाइनल स्टेनोसिस एक्सरसाइज आपकी परेशानी को दोगुना कर सकती है। आज हम आपको बताएंगे कि कौनसी 7 एक्सरसाइज से बिल्कुल बचना चाहिए और कौनसी सही रहेंगी।
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स्पाइनल स्टेनोसिस के लक्षण – कैसे पहचानें?
- पैरों में कमजोरी: चलते-चलते ऐसा लगता है जैसे पैरों में ताकत खत्म हो गई हो।
- चलने में दिक्कत: ज्यादा देर खड़े रहना और सीधा चलना मुश्किल हो जाता है।
- झुककर चलने पर राहत: आगे झुकते हैं तो नसों पर दबाव कम होता है और दर्द में आराम मिलता है।
एक्सरसाइज क्यों जरूरी है स्पाइनल स्टेनोसिस में?
आप सोच रहे होंगे—“दर्द है, तो आराम करना चाहिए, एक्सरसाइज कैसे करूं?” पर सच तो यह है कि सही स्पाइनल स्टेनोसिस एक्सरसाइज से ही नसों पर दबाव कम किया जा सकता है। मांसपेशियों को मजबूत बनाकर आप लक्षणों को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं।
लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि गलत एक्सरसाइज आपकी हालत बिगाड़ सकती है।
ये 7 एक्सरसाइज भूलकर भी न करें – स्पाइनल स्टेनोसिस में
अब हम सीधा मुद्दे पर आते हैं। नीचे दी गई 7 एक्सरसाइज को आपको हर हाल में अवॉइड करना है:
1. भारी वेटलिफ्टिंग

जिम में भारी वजन उठाने से आपकी रीढ़ पर जबरदस्त दबाव पड़ता है। इससे नसों पर सूजन और दर्द बढ़ जाता है।
2. हाई इंटेंसिटी रनिंग

तेज दौड़ने से रीढ़ की हड्डी को झटके लगते हैं। यह स्पाइनल स्टेनोसिस में बिलकुल भी सही नहीं है।
3. डीप स्क्वैट्स

नीचे तक बैठकर स्क्वैट्स करने से लोअर बैक पर खिंचाव बढ़ता है। इससे नसें और दबाव में आ जाती हैं।
4. पुल-अप्स और चिन-अप्स

ये एक्सरसाइज ऊपरी पीठ पर जोर डालती हैं और स्टेनोसिस के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
5. बेली क्रंचेस

पेट की चर्बी घटाने के लिए किए जाने वाले क्रंचेस कमर की नसों पर भारी दबाव डालते हैं, जिससे दर्द बढ़ सकता है।
6. बैक बेंडिंग योगासन

कोबरा पोज जैसे आसन रीढ़ की पीछे की नसों पर खिंचाव बढ़ाते हैं। ये स्पाइनल स्टेनोसिस एक्सरसाइज की लिस्ट से बाहर ही रहने चाहिए।
7. सायकलिंग में झुक कर बैठना
अगर आप साइकलिंग करते समय आगे झुकते हैं, तो यह आपकी स्पाइन पर बुरा असर डाल सकता है।
इन एक्सरसाइज से क्यों बचना चाहिए?
सीधी सी बात है – इन एक्सरसाइज में स्पाइन पर ऐसा दबाव बनता है, जो आपकी नसों को और अधिक तंग कर देता है। नतीजा? दर्द, सुन्नपन और चलने-फिरने में दिक्कत बढ़ जाती है।
गलत एक्सरसाइज करने से क्या हो सकता है?
- नसों में सूजन और जलन
- पैरों में कमजोरी और सुन्नपन
- चलने, बैठने में परेशानी
- फ्रैक्चर और डिस्क स्लिप का खतरा
- दर्द जो लंबे समय तक बना रह सकता है
तो क्या एक्सरसाइज बिल्कुल न करें?
नहीं, एक्सरसाइज न करना तो और भी गलत है। मांसपेशियां और कमजोर हो जाएंगी और आपकी हालत बिगड़ सकती है। बस, सही स्पाइनल स्टेनोसिस एक्सरसाइज चुननी है और वो भी विशेषज्ञ की सलाह से।
कौनसी एक्सरसाइज फायदेमंद है?
वॉकिंग
धीरे-धीरे वॉक करना नसों पर कम दबाव डालता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखता है।
वॉटर थैरेपी
पानी में एक्सरसाइज करने से शरीर का वजन कम महसूस होता है और स्पाइन पर दबाव नहीं पड़ता। यह सबसे सुरक्षित स्पाइनल स्टेनोसिस एक्सरसाइज है।
स्टेबलाइजेशन एक्सरसाइज
कोर मसल्स को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज जैसे बर्ड-डॉग, ब्रिजिंग वगैरह आपकी रीढ़ को सपोर्ट देती हैं।
फिजियोथैरेपी – सबसे सही गाइडेंस
फिजियोथैरेपिस्ट आपकी स्थिति देखकर आपको वही स्पाइनल स्टेनोसिस एक्सरसाइज सिखाएंगे जो आपके लिए सही है। वे यह भी बताएंगे कि आपको किन गलतियों से बचना है।
“Cleveland Clinic के अनुसार, स्पाइनल स्टेनोसिस में सही एक्सरसाइज और फिजियोथेरेपी से नसों पर दबाव कम किया जा सकता है, परंतु गलत एक्सरसाइज करने से स्थिति बिगड़ सकती है। यहाँ विस्तार से पढ़ें।”
घर पर एक्सरसाइज करने से पहले ये बातें ध्यान रखें:
- फिजियोथैरेपिस्ट से सलाह जरूर लें।
- किसी भी एक्सरसाइज से दर्द बढ़े तो तुरंत रोक दें।
- सही टेक्निक और फॉर्म पर ध्यान दें।
- स्ट्रेचिंग करना न भूलें।
लाइफस्टाइल में ये 5 बातें जरूर अपनाएं
- लंबे समय तक एक ही पोजिशन में न बैठें।
- वजन नियंत्रित रखें।
- झुकने और उठने का सही तरीका अपनाएं।
- बैक-सपोर्ट कुर्सी का उपयोग करें।
- नियमित फिजियोथैरेपी सेशन लें।
सबसे जरूरी बात
स्पाइनल स्टेनोसिस में ये जानना बेहद जरूरी है कि “क्या नहीं करना है”। अगर आपने गलत स्पाइनल स्टेनोसिस एक्सरसाइज कर ली, तो आपकी स्थिति और बिगड़ सकती है। इसलिए किसी भी एक्सरसाइज को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना सबसे सुरक्षित कदम है।
निष्कर्ष
सही स्पाइनल स्टेनोसिस एक्सरसाइज से आप अपने दर्द को कंट्रोल कर सकते हैं और नसों पर दबाव कम कर सकते हैं। परंतु, यदि आप बिना सोचे-समझे कोई भी एक्सरसाइज कर लेंगे, तो परेशानी और बढ़ेगी। ऊपर बताए गए 7 एक्सरसाइज से जरूर बचें और हमेशा फिजियोथैरेपिस्ट की निगरानी में ही एक्सरसाइज करें।
FAQs – आपके सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल
1. क्या स्पाइनल स्टेनोसिस में बेड रेस्ट करना सही है?
नहीं, बेड रेस्ट से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। हल्की-फुल्की गतिविधि जरूरी है।
2. कौनसे योगासन फायदेमंद हैं?
कैट-केमल स्ट्रेच, बालासन जैसे फॉरवर्ड बेंडिंग योगासन सही होते हैं। बैकवर्ड बेंडिंग आसनों से बचें।
3. क्या साइकिल चलाना सुरक्षित है?
अगर आप सीधे बैठकर साइकिल चलाते हैं तो ठीक है। झुककर साइकिल चलाने से बचें।
4. तैराकी फायदेमंद क्यों है?
पानी में बॉडी वेट कम हो जाता है, जिससे नसों पर दबाव नहीं पड़ता। यह बेहतरीन स्पाइनल स्टेनोसिस एक्सरसाइज है।
5. क्या फिजियोथैरेपिस्ट की सलाह जरूरी है?
बिल्कुल। बिना विशेषज्ञ की सलाह के एक्सरसाइज करना जोखिम भरा हो सकता है।
6. ट्रेडमिल वॉकिंग कर सकते हैं?
धीमी स्पीड पर ट्रेडमिल वॉकिंग कर सकते हैं। तेज चलने या दौड़ने से बचें।
7. बैक सपोर्ट बेल्ट पहनना चाहिए?
डॉक्टर की सलाह से ही पहनें और लंबे समय तक उपयोग न करें।
8. फिजियोथैरेपी से फायदा कितने समय में दिखेगा?
4 से 6 सप्ताह में सुधार दिख सकता है, पर यह आपकी स्थिति पर निर्भर करता है।
9. पुश-अप्स करना सुरक्षित है?
नहीं, पुश-अप्स में भी लोअर बैक पर दबाव आता है। इससे बचें।
10. दिन में कितनी बार एक्सरसाइज करें?
1-2 बार हल्की एक्सरसाइज कर सकते हैं, लेकिन फिजियोथैरेपिस्ट की सलाह के अनुसार ही करें।
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डॉ. विवेक अरोरा (BPT, MPT, FRCPT, MIAP) एक अनुभवी और लाइसेंस प्राप्त फिजियोथेरपिस्ट हैं, जिन्हें स्पाइन और ज्वाइंट के दर्द का वैज्ञानिक और दीर्घकालिक समाधान प्रदान करने में विशेषज्ञता प्राप्त है। वे 20 वर्षों से अधिक समय से मरीज़ों को सर्जरी के बिना बेहतर जीवन देने के लिए कार्यरत हैं। डॉ. अरोरा का उद्देश्य स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से दुनियाभर के लोगों को जागरूक और सशक्त बनाना है।
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